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दान में प्रशंसा की अपेक्षा न रखें, आत्मशक्ति को करें विकसित: आर्यिका माताजी

केकड़ी। बोहरा कॉलोनी स्थित शिवम वाटिका में आयोजित धर्म सभा में आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी ने अपने धर्मोपदेश में कहा कि मानव असीम शक्तियों से भरपूर है, लेकिन अज्ञानता के कारण उनका सही उपयोग नहीं कर पाता। आत्मा अनमोल है, किंतु इसके स्वरूप के प्रति अनभिज्ञता के चलते आत्मशक्ति से वंचित रह जाता है। उन्होंने कहा कि त्याग धर्म के प्रति आस्था बनाकर ही आत्मबल प्राप्त किया जा सकता है। माताजी ने ध्यान को भी एक प्रकार का त्याग धर्म बताया और कहा कि दान के बाद प्रशंसा की इच्छा न रखना तथा मौन रहकर संतवाणी सुनना भी त्याग का स्वरूप है। उन्होंने आत्मगुणों को संवारने पर बल देते हुए कहा कि जैसे सूरज के ताप को अलग नहीं किया जा सकता, वैसे ही आत्मा के गुणों को भी नहीं हटाया जा सकता।


धर्मसभा के दौरान प्रातःकालीन जिनाभिषेक, शांतिधारा, जिनेन्द्र अर्चना सहित विभिन्न धार्मिक क्रियाएं आर्यिका संघ के सानिध्य में संपन्न हुईं। शांतिधारा का पुण्यार्जन शांतिलाल, पारस कुमार, विनोद कुमार, राकेश कुमार (जूनियां परिवार) एवं सत्यनारायण, अशोक कुमार, अंकुर कुमार (जूनियां परिवार) ने प्राप्त किया।आर्यिका संघ के सानिध्य में 1008 श्री नमिनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक अवसर पर मोदक सहित अर्घ्य समर्पित किया गया। मोदक चढ़ाने का सौभाग्य सुरेश कुमार, अंकित कुमार और आनंद कुमार (उनियारा) को प्राप्त हुआ।


मीडिया प्रभारी रमेश बंसल ने बताया कि चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन का पुण्यार्जन शिखर चंद, उत्तम चंद, संजय कुमार, आयुष और अनुभव बंसल (कालेड़ा, देवली) ने प्राप्त किया। मंगलाचरण और पादप्रक्षालन ब्राह्मी सुंदरी शाखा, शुभकामना परिवार द्वारा किया गया। दिलीप जैन ने बताया कि आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी मय बैंड-बाजे के साथ श्री नेमीनाथ मंदिर से श्री आदिनाथ मंदिर तक पदयात्रा कर जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक और शांतिधारा सम्पन्न करवाई। धर्मसभा का संचालन निकेत शास्त्री ने किया।


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