भक्ति से ही विकारों पर विजय संभव- आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी
केकड़ी- बीमारी में दवा का, गर्मी में ठंडी हवा का और धर्म में भक्ति व भगवा का बड़ा महत्व है। यह प्रेरणादायक विचार गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी ने शिवम वाटिका, श्री नेमिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के समीप आयोजित धर्मसभा में अपने प्रवचनों के दौरान व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि मीरा ने श्रीकृष्ण की निष्काम भक्ति की, तो विष भी अमृत बन गया। क्रोध, मान, माया और लोभ जैसे विकारों पर भक्ति के माध्यम से ही विजय प्राप्त की जा सकती है। देव पूजा व स्वाध्याय भक्ति के दो प्रमुख स्तंभ हैं। चार कसाय (क्रोध, मान, माया, लोभ) और पांच पापों से बचाव केवल भक्ति और उपासना के द्वारा ही संभव है।
माताजी ने प्रवचन के दौरान एक दृष्टांत सुनाते हुए कहा कि जैसे एक नासमझ कुत्ता यज्ञशाला में प्रवेश कर जाता है और अज्ञानवश उसे मार दिया जाता है, लेकिन यदि कोई समझदार व्यक्ति उसे णमोकार मंत्र सुना दे, तो उसका कल्याण हो सकता है। इसी प्रकार भक्ति और धर्म का सार समझकर उसे जीवन में अपनाना चाहिए।
प्रातःकाल जिनाभिषेक, शांतिधारा, जिनेन्द्र अर्चना एवं विविध धार्मिक क्रियाएं आर्यिका संघ के सानिध्य में सम्पन्न हुईं। शांतिधारा करने का सौभाग्य दिनेश कुमार प्रकाश चंद नासिरदा एवं ओमप्रकाश गोविंद कुमार राजकुमार सदारा परिवार को प्राप्त हुआ।
मीडिया प्रभारी रमेश बंसल व पारस जैन ने बताया कि भगवान महावीर व आचार्य भगवंतों के चित्रों का अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन पत्रकारगणों द्वारा किया गया। इस अवसर पर आर्यिका माताजी ने पत्रकारों को आशीर्वाद प्रदान किया तथा समाज के वरिष्ठजनों ने उनका अभिनंदन किया। शास्त्र भेंट शुभकामना परिवार के अरिहंत ग्रुप द्वारा की गई।
आर्यिका माताजी के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य टीकम चंद, विपिन कुमार, जितेश एवं रामथला परिवार को प्राप्त हुआ। मंगलाचरण इंदु मित्तल, सुनीता पाटनी एवं विद्या जैन द्वारा प्रस्तुत किया गया।
सांयकालीन सत्र में माताजी के सानिध्य में प्रियंका दीदी द्वारा आनंद यात्रा सम्पन्न की गई।
समाज अध्यक्ष ज्ञान चंद जैन (ज्वैलर्स) व मंत्री कैलाश चंद जैन (मावा वाले) ने बताया कि कल मंदिर में अतिशयकारी मनवांछित फलदाता मुनिसुव्रतनाथ भगवान की लाइव शांतिधारा आर्यिका माताजी के मुखारविंद से की जाएगी, जिसका सीधा प्रसारण किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन कपिल शास्त्री ने किया।
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