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नवकुण्डीय गौपुष्टि यज्ञ और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

मेवदाकला 23 अप्रेल- श्री राम धाम संत सेवा आश्रम चौसला कॉलोनी मेवदा कला में चल रहे नवकुण्डीय गौपुष्टि महायज्ञ एवं भव्य मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत बुधवार को कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। आश्रम के महंत रघुवीर दास महाराज के सानिध्य में यज्ञ आयोजित हो रहा है। यज्ञ आचार्य राधा शरण शर्मा ने बताया कि मिनी कुंभ मैं 19 अप्रैल से कई धार्मिक कार्यक्रमों की शुरुआत हुई जो सात दिवसीय तक आयोजित होंगे। बुधवार को यज्ञाचार्य राधाचरण शर्मा के सानिध्य में पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रो के साथ नित्यार्चन ,हवन ,मूर्तियों का महास्नान ,अभिषेक एवं आरती पुष्पांजलि धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। 


आश्रम के महंत रघुवीर दास  महाराज ने बताया कि 24 अप्रैल 2025 को नित्यर्चन हवन मूर्तियों का मन स्नान अभिषेक तथा 25 अप्रैल 2025 को नित्यर्थन हवन मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा स्थापना पूर्णाहुति एवं संत के द्वारा आशीवर्चन सहित कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। महाराज ने बताया कि 25 अप्रैल 2025 को कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि ध्यान योगी उत्तम स्वामी महाराज बांसवाड़ा, ध्रुव दास महाराज गाय पगला सूरत गुजरात, सुखराम दास महाराज चित्रकूट तथा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री भागीरथ चौधरी, केकड़ी विधायक शत्रुघ्न गौतम के अतिथि में आयोजित होगा।


नानी बाई रमायरो की कथा का हुआ समापन-नानी बाई रो मायरो कथा के समापन पर कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। कथावाचक अवधेश दास महाराज सापला ने कहा कि यह कथा सेवा, सहयोग और समर्पण की सीख देती है। कथा में सहयोग की भावना होनी चाहिए, क्योंकि सनातन धर्म को जीवित रखना है तो हमें एकजुटता मिलाकर ऐसे धार्मिक अनुष्ठानों करना जरूरी है।नरसी मेहता में भगवान के प्रति सहयोग व समर्पण की भावना थी। जिस दिन हमारे बीच में सहयोग की भावना आ जाएगी। उन्होंने नरसी मेहता व श्रीकृष्ण के बीच हुए रोचक संवाद को प्रस्तुत किया। कथा में कथा वाचक ने कहा कि घर में कितनी भी बहुएं हों, कोई अपने पीहर से कितना भी लाए, मगर ससुराल के लोगों को कभी भी धन के लिए किसी को प्रताडि़त नहीं करना चाहिए। क्योकि हर किसी की आर्थिक स्थिति एक सी नहीं होती है।जीवन के अंत समय को इंसान को हमेशा याद रखना चाहिए। क्योंकि लकड़ी के लिए नया पेड़ लगाना पड़ेगा। सब कुछ पहले से ही तय होता है। कथा के अंतिम दिन विशेष भाग मायरे का सजीव मंचन हुआ। इसमें श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त नरसी मेहता की पुत्री नानी बाई के लालची ससुराल में आयोजित कार्यक्रम में मायरा भरने स्वयं श्रीहरि द्वारा उपस्थित होकर अपने भक्त की लाज रखने और करोड़ों रुपए का मायरा भरने की कथा का संगीतमय वर्णन किया गया।


भागवत कथा में भगवान के प्रेम का सप्रसंग हुआ कथा वाचन-श्रीमद् भागवत कथा में कथावाचक राघव दास महाराज अयोध्या ने चौथे दिन अपने श्रीमुख से श्रीकृष्ण जन्म का बड़ा ही सुंदर व मार्मिक चित्रण करते हुए कहा कि मुक्त, मुमुक्षु, विषयी और पामर सभी श्रीकृष्ण चन्द्र की लीलाओं से प्रेम करते हैं।सर्वात्मा श्रीकृष्ण की लाला जिस मनुष्य को प्रिय नहीं वह आत्मघाती के समान है। पृथ्वी पर दुष्टों का भार जब बढ़ गया था तक धर्म की रक्षा व लोक कल्याण हेतु लीलादानी प्रभु ने अवतार ग्रहण करने का निष्चय किया था। श्रीकृष्ण ने कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि व रात्रि के बारह बजे अवतार लेकर यह सिद्ध किया कि जो सारे सभ्य समाज से भी त्याज्य है, जिसमें कमिया ही कमियां हैं। जो अकिंचन है वो भी मुझे प्रिय है। में उन्हें भी स्वीकार करता हूं। ब्रज में गोपोंयो के बीच पहुंचकर उन्हें अपनाकर श्रीकृष्ण ने धन्य कर दिया था। यदि हम भी अर्त:भाव से प्रभु को प्रकारेगे तो निष्चित ही हमें अपनाएंगे।


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