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गहलोत ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र – बालक फीस पुनर्भरण योजना को तत्काल बहाल करने की मांग

जयपुर- राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्तमान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री बालक फीस पुनर्भरण योजना को प्राथमिकता के आधार पर पुनः शुरू करने की मांग की है। गहलोत ने कहा कि यह योजना गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के विद्यार्थियों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम है। अपने पत्र में गहलोत ने उल्लेख किया कि वर्ष 2009 में केंद्र की यूपीए सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) लागू किया था, जिससे 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का अधिकार मिला। इस अधिनियम की भावना को आगे बढ़ाते हुए राजस्थान में इंदिरा शक्ति फीस पुनर्भरण योजना शुरू की गई, जिसमें 9वीं से 12वीं तक की बालिकाओं की फीस निजी विद्यालयों को राज्य सरकार द्वारा पुनर्भरित की जाती थी।

वर्ष 2023-24 के बजट में इस योजना का दायरा बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री बालक फीस पुनर्भरण योजना की शुरुआत की गई, जिससे बालकों को भी निजी विद्यालयों में निशुल्क शिक्षा मिल सके। लेकिन वर्तमान में कई विद्यालय 8वीं के बाद बच्चों को प्रवेश नहीं दे रहे हैं क्योंकि सरकार द्वारा विद्यालयों को भुगतान नहीं किया गया है।


गहलोत ने आरोप लगाया कि सरकार की निष्क्रियता के चलते यह योजना अघोषित रूप से बंद हो चुकी है, जिससे गरीब व मध्यमवर्गीय अभिभावकों में भारी असंतोष है। उन्होंने यह भी बताया कि कई निजी विद्यालय RTE के तहत पढ़ने वाले बच्चों के साथ भेदभाव करते हैं – ट्यूशन फीस तो माफ होती है, परंतु यूनिफॉर्म, खेल, सांस्कृतिक गतिविधियों और अन्य शुल्कों के नाम पर पैसा वसूला जाता है, जो नियमों का उल्लंघन है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने मांग की कि योजना को तत्काल बहाल कर इसे प्रभावी रूप से लागू किया जाए, ताकि हर बच्चे को बिना किसी भेदभाव के सम्पूर्ण शिक्षा मिल सके। साथ ही उन्होंने ऐसे विद्यालयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी की है, जो RTE के प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं। 

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