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प्रभु स्मरण से मिटते हैं पाप, खुलता है मोक्ष का द्वार – आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी

केकड़ी- मनुष्य मात्र को प्रतिदिन प्रभु स्मरण और स्तुति अवश्य करनी चाहिए क्योंकि इससे पूर्व में किए गए खोटे कर्मों का क्षय होता है। प्रभु स्तुति भगवान से संवाद करने का श्रेष्ठ माध्यम है। संतों की मुखवाणी, प्रभु की वाणी को व्यक्त करने का माध्यम है, जिससे हम आत्मज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। उक्त धर्मोपदेश गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी ने श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के समीप शिवम वाटिका में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए।


माताजी ने कहा कि तीर्थ यात्रा और तीर्थ वंदना पुण्यशाली जीवों को ही प्राप्त होती है। आचार्य भगवान और 24 तीर्थंकरों की वंदना एवं स्तुति के माध्यम से मोक्ष मार्ग प्रशस्त होता है। प्रातःकाल जिनाभिषेक, शांतिधारा, जिनेंद्र अर्चना एवं विविध धार्मिक क्रियाएं आर्यिका ससंघ के सानिध्य में भक्तिभावपूर्वक संपन्न हुईं। शांतिधारा करने का सौभाग्य त्रिलोकचंद कमलेश कुमार राजकुमार कालेडा परिवार एवं ओमप्रकाश गोविंद कुमार राजकुमार सदारा परिवार को प्राप्त हुआ।


मीडिया प्रभारी रमेश बंसल एवं पारस जैन ने बताया किभगवान महावीर एवं आचार्य श्री के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन कैलाश चंद्र दीपक कुमार जूनियाँ वालों ने किया। पाद प्रक्षालन का सौभाग्य ओमप्रकाश, ताराचंद, प्रेमचंद, पुनीत कुमार बड़ला परिवार को प्राप्त हुआ। आर्यिकाश्री को शास्त्र भेंट चांदमल भेरूलाल गोयल बावड़ी वालों द्वारा किया गया। मंगलाचरण शकुंतला रांवका द्वारा प्रस्तुत किया गया। शाम को प्रियंका दीदी एवं माताजी के पावन सान्निध्य में आनंद यात्रा का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने आत्मिक आनंद की अनुभूति की। धर्मसभा का संचालन कपिल जैन शास्त्री ने किया



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