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देश-विदेश से संतों की उपस्थिति में महायज्ञ का भव्य समापन

केकड़ी- श्री राम धाम संत सेवा आश्रम चौसला कॉलोनी मेवदाकला में चल रहे नवकुंडीय गौपुष्टि महायज्ञ एवं भव्य मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का हुआ समापन। सात दिवसीय इस महायज्ञ में आश्रम के महंत एवं यज्ञकर्ता रघुवीर दास के सानिध्य में आयोजित हुआ। यज्ञाचार्य राधा शरण शर्मा ने बताया कि 19 अप्रैल 2025 से 25 अप्रैल के मध्य सात दिवसीय भव्य मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव एवं गौपुष्टि महायज्ञ का धूमधाम से आयोजन हुआ। इस महायज्ञ में देश विदेश सहित सैकड़ो महात्मा ने यज्ञ में पहुंचकर तपस्या एवं साधना की। आश्रम के महंत रघुवर दास महाराज के सानिध्य बाहर से आए संत महात्माओं की तिलक, माल्यार्पण एवं भेंट कर विदाई दी गई।


 वही यज्ञ में यज्ञाचार्य सहित पंडितों की ब्राह्मण वर्ण के साथ विदाई दी गई। यज्ञाचार्य शर्मा ने बताया कि इस महायज्ञ में शिव परिवार हनुमान जी महाराज एवं शनि शीला की मूर्तियों का प्रतिदिन नित्यअर्चन पूजा अर्चना एवं जलाभिषेक सहित कई अभिषेक  कर वैदिक मित्रों के साथ मूर्तियों की यजमानों द्वारा स्थापना की गई। यज्ञाचार्य ने बताया कि नवकुंडीय गोपुष्टि महायज्ञ शुक्रवार को 31 जोड़ों एवं प्रधान कुंड पर यजमानो ने यज्ञ में आहुति देकर धर्म लाभ कमाया ।इस दौरान यजमानों ने यज्ञ परिक्रमा कर साधु संतों का आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम के दौरान आश्रम के महंत रघुवर दास महाराज को महंतताई दी गई।


 इस महायज्ञ में दामोदर दास महाराज ,अवधेश दास महाराज, लक्ष्मण दास महाराज, श्यामसुंदर दास ओंकारेश्वर, भरत दास इंदौर ,गोविंद महाराज बनारस ,अभ्यागत साधु ,भरत दास महाराज ,मोहनदास महाराज ,हनुमान दास महाराज जूनिया, ध्रवदास महाराज, शिवेंद्र दास सूरत, मुरारी शरण हरिद्वार, मुरली दास जगन्नाथपुरी उड़ीसा, दशरथ दास कोटा ,मुरली दास वृंदावन ,नरसिंह दास महाराज मंडी हिमाचल प्रदेश सहित की यज्ञ समिति द्वारा विदाई दी गई।


इस महायज्ञ में राघव दास महाराज ने व्यासपीठ पर विराजमान होकर भागवत कथा का श्रवण कराया। श्रीमद्भागवत कथा में विभिन्न धार्मिक प्रसंग सुनाए गए। साथ ही भजनों की प्रस्तुति से भक्तगण आत्मविभोर होकर झूम उठे। इसके साथ ही श्रीमद्भागवत कथा का शुक्रवार को समापन हुआ। भगवान श्रीकृष्ण के वात्सल्य व असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा की गई विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, कटुता, व्यभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित किया। 


इस धार्मिक अनुष्ठान के समापन दिवस पर भगवान श्रीकृष्ण की सर्वोपरि लीला रासलीला, मथुरा गमन, दुष्ट कंस राजा के अत्याचार से मुक्ति के लिए कंसवध, शिशुपाल वध एवं सुदामा चरित्र का वर्णन कर लोगों को भक्तिरस में डुबो दिया। इस दौरान भजन गायकों ने उपस्थित लोगों को ताल एवं धुन पर नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। इस कथा में बड़ी संख्या में महिला-पुरूषों भक्तों ने आनंद उठाया। उन्होंने सुंदर समाज निर्माण के लिए गीता से कई उपदेश के माध्यम अपने को उस अनुरूप आचरण करने को कहा। जो काम प्रेम के माध्यम से संभव है, वह हिंसा से संभव नहीं हो सकता है। समाज में कुछ लोग ही अच्छे कर्मों द्वारा सदैव चिर स्मरणीय होता है, इतिहास इसका साक्षी है।




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